भारत में रूपये का अवमूल्यन
भारत में मुद्रा का अवमूल्यन
भारत में मुद्रा का अवमूल्यन कितनी बार किया गया है ?
मुद्रा के अवमूल्यन का अर्थ 'घरेलू मुद्रा के बाह्य मूल्य में कमी होना, जबकि आर्थिक मूल्य का स्थिर रहना है . जब एक देश द्वारा अपने देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा की तुलना में मूल्य कम कर दिया जाता है या मूल्य गिरा दिया जाता है, तो उसे मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है .
कोई भी देश अपने प्रतिकूल भुगतान (BOP) को सही करने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है . यदि कोई देश प्रतिकूल भुगतान संतुलन (BOP) का सामना कर रहा है, तो इस स्थिति को में वह अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है . जिससे उसका निर्यात सस्ता हो जाता है और आयात महंगा हो जाता है .
मुद्रा का अवमूल्यन निर्यात को प्रोत्साहित करने और आयात को हतोत्साहित करने को किया जाता है और भुगतान असंतुलन को संतुलित करने के लिए होता है .
भारत में रुपये का अवमूल्यन अभी तक कुल तीन बार किया गया है, जो इस प्रकार है -
1. 20 सितम्बर 1949 को
2. 6 जून 1966 को
3. 1 जुलाई 1991 को .
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